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Petrol Diesel Price Cut : सरकार कम कर सकती है पेट्रोल-डीजल के दाम-₹2 प्रति लीटर की कटौती

Petrol Diesel Price Cut

भारत के लिए तेल की कीमतों का नीचे आना एक राहत हो सकता है। इससे ईंधन की कीमतों में कमी आ सकती है(Petrol Diesel Price Cut): सरकार कम कर सकती है पेट्रोल-डीजल के दाम, जिसका सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा। लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक निम्न स्तर पर बनी रहें और सरकार साथ ही OMCs इस लाभ को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए कदम उठाएं।

भारत में पिछले कुछ वर्षों में पेट्रोल(Petrol) और डीजल(Diesel) की कीमतों में लगातार वृद्धि हुई है, जिसने आम जनता के घरेलू बजट पर भारी असर डाला है। भले ही वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई हो, लेकिन इसका सीधा लाभ भारतीय उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पाया है। इसका मुख्य कारण तेल विपणन कंपनियों (OMCs) द्वारा कीमतों में गिरावट का लाभ नहीं पहुंचाना और सरकार द्वारा लगाए गए उच्च कर हैं, जो ईंधन की कीमतों में कमी के बावजूद भारतीय बाजार में इसका लाभ नहीं मिलने देते।

कच्चे तेल की कीमतें पिछले कुछ महीनों में तीन साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। ब्रेंट क्रूड, जो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय तेल अनुबंध है, दिसंबर 2021 के बाद पहली बार $70 प्रति बैरल से नीचे गिर गया है। इसका प्रमुख कारण यह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण ईंधन की मांग में गिरावट आई है। इसके बावजूद, भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई हैं।

भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, अपनी तेल जरूरतों का लगभग 87% आयात करता है। जब वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं, तो यह उम्मीद की जाती है कि भारतीय उपभोक्ताओं को भी इसका लाभ मिलेगा, लेकिन वास्तविकता इसके उलट रही है। तेल कंपनियों जैसे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) को सरकारी आदेश के तहत लाभ होता है, क्योंकि वे बाजार का लगभग 90% हिस्सा नियंत्रित करते हैं। इन कंपनियों की लाभप्रदता बढ़ने के बावजूद, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं आई है।

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें भारत में महंगाई बढ़ाने का एक प्रमुख कारण रही हैं। ईंधन की कीमतें बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन की लागत में वृद्धि होती है, जो अन्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में इजाफा करती है। यह एक श्रृंखला प्रतिक्रिया की तरह काम करता है, जिससे खाद्य वस्तुओं, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ जाती हैं। इससे आम आदमी की जेब पर भारी दबाव पड़ता है और उसका जीवन स्तर प्रभावित होता है।

भारत सरकार और तेल विपणन कंपनियों के बीच की जटिल संरचना भी इस समस्या का एक कारण है। सरकार, जो पेट्रोल और डीजल पर भारी कर लगाती है, उसे कम करने के पक्ष में नहीं है क्योंकि यह उसके राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इस बीच, OMCs का तर्क है कि वे पहले से ही घाटे में चल रहे थे, और अब कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से वे अपनी घाटे को कुछ हद तक पूरा कर रहे हैं।

इसके अलावा, भारत सरकार ने OPEC+ देशों से उत्पादन बढ़ाने की मांग की है ताकि तेल की कीमतें और नीचे आ सकें। OPEC+, जिसमें सऊदी अरब और रूस जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देश शामिल हैं, ने हाल ही में तेल उत्पादन में वृद्धि करने का फैसला टाल दिया था। इसके पीछे का कारण यह था कि वैश्विक स्तर पर तेल की मांग में गिरावट हो रही है, इसलिए उत्पादन बढ़ाने से ओवरसप्लाई की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे तेल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है।

कुल मिलाकर, भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत मिलना काफी हद तक वैश्विक तेल कीमतों पर निर्भर है। अगर कच्चे तेल की कीमतें स्थिर और निम्न स्तर पर बनी रहती हैं, तो OMCs और सरकार को उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए Petrol Diesel Price Cut आवश्यकता होगी। लेकिन इसमें सरकार की नीति और OMCs की रणनीति भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भारतीय उपभोक्ता फिलहाल उम्मीद कर रहे हैं कि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में स्थिरता बनी रहे ताकि उन्हें घरेलू बजट में कुछ राहत मिल सके।

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